परिस्थितियों से तालमेल बैठाने के लिये अपनी सहनशक्ति को बढाना होता है, यही सदगुण है! इससे कमजोरी नही आयेगी बल्कि आपका बल बढेगा!
सुख और दुःख की परिभाषा यह है कि जहाँ तक तुम सह सकते हो वहां तक तो सुख है, जहाँ से सहना मुश्किल हो जाता है, वहाँ से दुःख शुरू हो जाता है, और यह सहने की शक्ति सबकी अलग-अलग है। कोई थोड़े दुःख में घबरा जाता है, कोई बहुत दुःख आये तो भी नहीं घबराते हैं।
परम पूज्य सुधान्शुजी महाराज
No comments:
Post a Comment