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Thursday, September 27, 2007

डर ,हार ,जीत ,कठ्नाई ,

जीत और हार के बीच में डर, जों हार से डर गया समझो जीत हार गयी, जो हार से नहीं डरा जीत -जीत गयी!
कठ्नाई को कठ्नाई मत समझो, विरोध करने की शक्ती भी रखो, सम्झोतावादी मत बनो!

परम पूज्य सुधान्शुजी महाराज

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