मनुष्य के पास ज्ञान के लिए एक मात्र साधन यह बुद्धि है! यदि यह बुद्धि विषय वासनाओं से मलिन हो जाए तो वह मनुष्य को दुःख सागर में डुबो देती है! और यदि यह बुद्धि आत्मानुरागिणी हो जाए तो यह ऋतम्भरा नाम वाली बनकर मनुष्य को संसार के दुस्तर महासागर से पार लगाने में अति सहायक हो जाती है!
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