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Thursday, September 20, 2007

दुःख ,भगवान ,सेवा

दुःख में सब को परमात्मा की याद आती है ,जब शक्ति ,बुद्धि ,सामर्थ काम नहीं करता तब मनुष्य भगवान के पास जाता है !

दूसरों के दुःख दूर करो ,अगर तुम किसी का दुःख नहीं देखते तो भगवान भी तुम्हारे दुःख की तरफ नहीं देखेंगे !

सेवा खुद करो ,दूसरे को इशारा मत करो ,खुद दूसरे के दुःख मिटाओ -सब की पीडा तुम हरोगे तो तुम्हारा दुःख भगवान दूर करेंगे !

भगवान से मांगो सुख-दुःख में साथ दो -सुख दिया है तोभागावान की कृपा है मगर आस पास जो दुखी है उसका दुःख दूर करो ,सेवा करो -भक्ती में मन लगे न लगे मगर सेवा जरूर करो ! सेवा भगवान् पूरी स्वीकार करेंगे -अगर भक्त हो तो सेवा करो !

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