चिंता उन्हें होती हे जिन्हें ईश्वर पर विश्वास नहीं होता !
दूसरे के लिए ह्र्दय को संकीर्ण बनाकर हम निर्धन और उसे विशाल बनाकर हम धनवान बनं जाते हैं !
जब भी इंसान बोले तो ह्र्दय का प्रेम और म्स्तिष्क की बुद्धिमता, समझदारी दोनों का मेल मिलाकर ही बोलना चाहिए !
प्रभाव ही ऐसा विचित्र होता है कि जो चीज सच नहीं वह सच नजर आती है !
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