मानव शरीर केवल सुख भोगने और आराम करने के लिए नहीं है , यह तो एक बहुत बडे उद्देश्य के लिए मिला है और वह उद्देश्य है -सेवा,सिमरन और सत्संग के द्वारा स्वयं भी तरे और दूसरों को भी इस भवसागर से तारे !जो भोगी होते हैं वे साधक नहीं अपितु परमात्मा के मार्ग में बाधक होते हैं !
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जैसे सुर्य का प्रकाश गुफा के अन्दर का अन्धकार समाप्त कर देता है , उसी प्रकार भगवान के नाम का संकीर्तन एवं भजन का प्रभाव ह्रदय रूपी गुफा में प्रवेश कर दुःखों के अन्धकार को मिटा देता है !
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मनुष्य की सबसे बड़ी शक्ति सुविचार हैं ! जिसके विचार सुविचार बन जाते है वह महान लक्ष्य को प्राप्त करता है !
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उन हाथों में ईश्वरीय शक्ति आ जाती है जो ब्रद्धों , असहायों और पीडितों की सेवा के लिए उठते हैं !उन पैरों में चलाने की क्षमता बढ़ जाती है जो आपको भगवान की कथा सत्संग में ले जाते हैं !
Sunday, September 30, 2007
Saturday, September 29, 2007
Thursday, September 27, 2007
डर ,हार ,जीत ,कठ्नाई ,
जीत और हार के बीच में डर, जों हार से डर गया समझो जीत हार गयी, जो हार से नहीं डरा जीत -जीत गयी!
कठ्नाई को कठ्नाई मत समझो, विरोध करने की शक्ती भी रखो, सम्झोतावादी मत बनो!
कठ्नाई को कठ्नाई मत समझो, विरोध करने की शक्ती भी रखो, सम्झोतावादी मत बनो!
परम पूज्य सुधान्शुजी महाराज
Wednesday, September 26, 2007
सम्बन्धों में माधुर्य उत्पन्न कीजीय
सम्बन्धों में माधुर्य उत्पन्न कीजीय
जहाँ धर्म है, जहाँ सेवा का पवित्र भाव है और जहाँ बड़ों के महान गुंण और आदर्शों को जीवन का आधार बनाया जाता है, जहाँ गुरू का मान और उनकी पूजा की जाती है उस घर में कभी विघटन नहीं होता वरन निरन्तर सम्बन्धों में माधुर्य बढ़ता ही जाता है! ऐसे परिवारों में भाई भाई के बीच दीवारें नहीं बना करती, भाई भाई के खून का प्यासा नहीं होता! चाणक्य ने कहा है कि आप अपने बच्चे को धन दो या न दो लेकिन उत्तम शिक्षा और सुसंस्कार अवश्य दो! संस्कारों के अभाव में धन बच्चों को बिगाड़ने में हे सहयोगी बनता है!
जिस घर में बच्चे संस्कारहीन हों, जहाँ बड़ों का सम्मान न हो, जहाँ मान-मर्यादा और सत्पुरूशों की पूजा का अभाव हो, जहाँ गुरूवाचानोंकी अनुगूँज न हो और जहाँ हर क्रिया में व्रुद्धजनों एवं गुरुवचनों को साक्षीम बनाया जाय! उस घर में, संम्बंधों में मधुरता नही रहती! घर के अन्दर कलियुग प्रवेश कर जाता है! कलियुग का मतलब ही है कि जहाँ कल्हप्रिय लोग रहते हों, जहाँ दिन रात झगड़े ही झगड़े होते रहते हों, जहाँ अंहकार, स्वार्थ, ईर्ष्या द्वेष और प्रतिशोध की भावनाएं हों, जहाँ कोई किसी के साथ मिलाकर बैठना नहीं चाहता तो समझ लीजीय कि वहाँ अधर्म का साम्राज्य ऐसे होने लगा है।
ऐसे में विनाश से बचने के लिए एक ही उपाय है वह है - माता-पिता और व्रुद्धाजनों की सेवा तथा गुरुवचनों पर चलना! वेद में भी कहा गया है कि अपने बडों के अनुनय बनो! उनकी अच्छाइयों को ग्रहण करो! जिसे बडों का सम्मान करना, उन्हें आदर देना आ गया, समझो कि उसके जीवन में माधुर्य आ गया और फिर वह माधुर्य हर सम्बन्ध को मधुर बनाएगा। यही है क्ष्रेष्ट, सुखद और सुसरपन्न जीवन जीने की कला है !
पूज्य सुधांशु जीं महाराज
धर्मदूत सितंबर २००७ से लिया
Saturday, September 22, 2007
वाणी की कड़वाहट ,मिठास ,शांती ,तीरथ
सोचो हमारी कड़वाहट कहाँ है उस बात को कहने का ढंग बदल लो बस वाद विवाद खतम होजायेगा !
बात ऐसी बोलो कि वाणी में मिठास हो शांती हो !
हर पतनी अगर सुख चाहती है तो अपने पति से मीठी बात और शांति पूर्वक शब्ध बोले !
ऐसी वाणीँ तीरथ कहलाती है !
बात ऐसी बोलो कि वाणी में मिठास हो शांती हो !
हर पतनी अगर सुख चाहती है तो अपने पति से मीठी बात और शांति पूर्वक शब्ध बोले !
ऐसी वाणीँ तीरथ कहलाती है !
विषय वासनायें
मनुष्य के पास ज्ञान के लिए एक मात्र साधन यह बुद्धि है! यदि यह बुद्धि विषय वासनाओं से मलिन हो जाए तो वह मनुष्य को दुःख सागर में डुबो देती है! और यदि यह बुद्धि आत्मानुरागिणी हो जाए तो यह ऋतम्भरा नाम वाली बनकर मनुष्य को संसार के दुस्तर महासागर से पार लगाने में अति सहायक हो जाती है!
Friday, September 21, 2007
खोज में ,बुद्धि ,ज्ञान
मनुष्य भाग रहा है कुछ अज्ञात को पाने की खोज में! पर वह खोज क्या रहा है यह वह भी नहीं जानता, पर फिर भी भाग रहा है!
जीवन है तो बुद्धि है! बुद्धि है तो जिज्ञासा है! जिज्ञासा है तो ज्ञान है! ज्ञान ही जीवन का मधुरतम फल है!
जिस प्रकार विश्व को जीतने की इच्छा रखने वाले को सर्वप्रथम स्वयं को जीतना चाहिए, क्योंकि खुद को जीत लेने के बाद कुच्छ भी जीतना शेष नहीं रह जाता! उसी प्रकार ज्ञान चाहने वाले को सर्वप्रथम अपने बारे में जानना चाहिए!
जीवन है तो बुद्धि है! बुद्धि है तो जिज्ञासा है! जिज्ञासा है तो ज्ञान है! ज्ञान ही जीवन का मधुरतम फल है!
जिस प्रकार विश्व को जीतने की इच्छा रखने वाले को सर्वप्रथम स्वयं को जीतना चाहिए, क्योंकि खुद को जीत लेने के बाद कुच्छ भी जीतना शेष नहीं रह जाता! उसी प्रकार ज्ञान चाहने वाले को सर्वप्रथम अपने बारे में जानना चाहिए!
लक्षमी कहाँ रहती है
लक्षमी कहाँ रहती है
जिस घर में सब प्रसन्न रहते हैं लक्षमी वहाँ रहती है! जिस घर में अशान्ती, अवव्यवस्था हो, नारी आंसू बहाये-बच्चे बड़ों का सत्कार न करें, धर्म से विमुख हों,बड़े गुस्सा करें, तो लक्ष्मी वहाँ एक दरवाजे से आयगी और दूसरे दरवाजे से निकल जायगी टिक भी नहीं पायेगी और बीमारी देकर जायेगी! इसलिय घर में शांती बनाकर रखो!
जिस घर में सब प्रसन्न रहते हैं लक्षमी वहाँ रहती है! जिस घर में अशान्ती, अवव्यवस्था हो, नारी आंसू बहाये-बच्चे बड़ों का सत्कार न करें, धर्म से विमुख हों,बड़े गुस्सा करें, तो लक्ष्मी वहाँ एक दरवाजे से आयगी और दूसरे दरवाजे से निकल जायगी टिक भी नहीं पायेगी और बीमारी देकर जायेगी! इसलिय घर में शांती बनाकर रखो!
Thursday, September 20, 2007
गिडगिडाओ मत ,झुको मत ,भय प्रेम
- दुष्ट्ता के सामने मत गिडगिडाओ , अन्याय के सामने झुको मत , जो दुष्टता को बढावा देते हैं विरोध नहीं कर सकते तो उपेक्षा करो ,प्रशंसा करो तो सज्जन की करो , दुष्टता को बढावा मत दो ,उंचा इनसान वह है जो दुष्टता के सामने झुके नहीं !
बुरे आदमी की ताक़त भय -अच्छे आदमी की ताक़त प्रेम -उंचा वह है जो बुरे से लड़े,समस्या को लरकारना सीखो !
पूजा किसी की करो भगवान् एक हैं ,धरती पर स्वर्ग बनाओ
- पूजा किसी की भी करो पूजा तो एक की होगी ,जैसे सोना एक ही है आभूषण अनेक होते हैं ! जो-जो जैसी भावना से भक्त मेरी भक्ती करता है में उसी की श्रद्धा देता हूँ !
हाथी धूल उडाता चलता है ,मगर धूल में से मिस्री नहीं उठा सकता -वह चींटी कर सकती है ! यह मत सोचो कि क्या करूं -बादल पेड यह नहीं देखते कि कोई लेने वाला है या नहीं -आप स्वर्ग से बिछडे भाई हो ,आप मिल जाओ और धरती पर स्वर्ग बना दो !
दुःख ,भगवान ,सेवा
दुःख में सब को परमात्मा की याद आती है ,जब शक्ति ,बुद्धि ,सामर्थ काम नहीं करता तब मनुष्य भगवान के पास जाता है !
दूसरों के दुःख दूर करो ,अगर तुम किसी का दुःख नहीं देखते तो भगवान भी तुम्हारे दुःख की तरफ नहीं देखेंगे !
सेवा खुद करो ,दूसरे को इशारा मत करो ,खुद दूसरे के दुःख मिटाओ -सब की पीडा तुम हरोगे तो तुम्हारा दुःख भगवान दूर करेंगे !
भगवान से मांगो सुख-दुःख में साथ दो -सुख दिया है तोभागावान की कृपा है मगर आस पास जो दुखी है उसका दुःख दूर करो ,सेवा करो -भक्ती में मन लगे न लगे मगर सेवा जरूर करो ! सेवा भगवान् पूरी स्वीकार करेंगे -अगर भक्त हो तो सेवा करो !
दूसरों के दुःख दूर करो ,अगर तुम किसी का दुःख नहीं देखते तो भगवान भी तुम्हारे दुःख की तरफ नहीं देखेंगे !
सेवा खुद करो ,दूसरे को इशारा मत करो ,खुद दूसरे के दुःख मिटाओ -सब की पीडा तुम हरोगे तो तुम्हारा दुःख भगवान दूर करेंगे !
भगवान से मांगो सुख-दुःख में साथ दो -सुख दिया है तोभागावान की कृपा है मगर आस पास जो दुखी है उसका दुःख दूर करो ,सेवा करो -भक्ती में मन लगे न लगे मगर सेवा जरूर करो ! सेवा भगवान् पूरी स्वीकार करेंगे -अगर भक्त हो तो सेवा करो !
Wednesday, September 19, 2007
भगवान का कानून
भगवान का कानून
सब भगवान से भगवान का कानून बदलने की कहते हैं! इन्सान बोता है बबूल का बिज तो आम का पेड कहाँ से होगा! हमें सावधान रहना चाहिये जो बोयेंगे वही मिलेगा! इस लिय भगवान से उसका कानून बदलने को मत कहो!
सब भगवान से भगवान का कानून बदलने की कहते हैं! इन्सान बोता है बबूल का बिज तो आम का पेड कहाँ से होगा! हमें सावधान रहना चाहिये जो बोयेंगे वही मिलेगा! इस लिय भगवान से उसका कानून बदलने को मत कहो!
परम पूज्य सुधान्शु जी महाराज
प्रभू से प्रार्थना
प्रभू से प्रार्थना
" हें प्रकाशस्वरूप प्रभु ! मेरे ह्रदय मैं उतर आओ ! अपना प्रकाश, अपना ज्ञान, अपनी कृपा मुझे प्रदान करो , ....फिर हम सभी आनन्द से भरपूर हो जायें! मै, मेरे परिवार, मेरे समाज की तू ज्योति बनकर मेरे ह्रदय में उतर, जिससे में आनन्द से परिपूर्ण हो जाऊं! मेरे स्वामी, रक्षक सदैव हमारी रक्षा करना प्रभु, बार बार हमें जगाना जिससे हम दुनिया में खो न जायं! अगर चोट लगाकर भी हमें जगाना पडे तो हमें जरूर जगाना जिससे हम जागकर इस संसार में ठीक ढंग से जीं सकें, अन्यथा अनेक प्रकार के गुन्हा करने में हम तत्पर रहते हैं! हमें यह महसूस हो कि किसी का साथ, न मिले, लेकिन तेरा साथ सदेव हमारे साथ है!"
" हें प्रकाशस्वरूप प्रभु ! मेरे ह्रदय मैं उतर आओ ! अपना प्रकाश, अपना ज्ञान, अपनी कृपा मुझे प्रदान करो , ....फिर हम सभी आनन्द से भरपूर हो जायें! मै, मेरे परिवार, मेरे समाज की तू ज्योति बनकर मेरे ह्रदय में उतर, जिससे में आनन्द से परिपूर्ण हो जाऊं! मेरे स्वामी, रक्षक सदैव हमारी रक्षा करना प्रभु, बार बार हमें जगाना जिससे हम दुनिया में खो न जायं! अगर चोट लगाकर भी हमें जगाना पडे तो हमें जरूर जगाना जिससे हम जागकर इस संसार में ठीक ढंग से जीं सकें, अन्यथा अनेक प्रकार के गुन्हा करने में हम तत्पर रहते हैं! हमें यह महसूस हो कि किसी का साथ, न मिले, लेकिन तेरा साथ सदेव हमारे साथ है!"
Tuesday, September 18, 2007
माया और माया पति
माया और माया पति के बीच में एक रेखा है ,उससे निकलना ही मुशकिल है , जब आदमी भवंर में फँस जाता है तो गोल -गोल घूमता रहता है , उस समय उसको किसी का सहारा चाहिये - माया को तोड़ कर जब आगे बढेगा तो माया पति अपनी तरफ खीचेंगे -माया को पार करना ही कठिन है ,मगर गुरू के द्वारा एक ही झटके में बाहर हो जायेगा !इस लिये गुरू जरूरी है !
परिस्थितियाँ ,सुख और दुःख
परिस्थितियाँ, सुख और दुःख
परिस्थितियों से तालमेल बैठाने के लिये अपनी सहनशक्ति को बढाना होता है, यही सदगुण है! इससे कमजोरी नही आयेगी बल्कि आपका बल बढेगा!
सुख और दुःख की परिभाषा यह है कि जहाँ तक तुम सह सकते हो वहां तक तो सुख है, जहाँ से सहना मुश्किल हो जाता है, वहाँ से दुःख शुरू हो जाता है, और यह सहने की शक्ति सबकी अलग-अलग है। कोई थोड़े दुःख में घबरा जाता है, कोई बहुत दुःख आये तो भी नहीं घबराते हैं।
परिस्थितियों से तालमेल बैठाने के लिये अपनी सहनशक्ति को बढाना होता है, यही सदगुण है! इससे कमजोरी नही आयेगी बल्कि आपका बल बढेगा!
सुख और दुःख की परिभाषा यह है कि जहाँ तक तुम सह सकते हो वहां तक तो सुख है, जहाँ से सहना मुश्किल हो जाता है, वहाँ से दुःख शुरू हो जाता है, और यह सहने की शक्ति सबकी अलग-अलग है। कोई थोड़े दुःख में घबरा जाता है, कोई बहुत दुःख आये तो भी नहीं घबराते हैं।
परम पूज्य सुधान्शुजी महाराज
पदार्थ उपयोग के लिय हैं
पदार्थ भगवान ने दिये हैं उपयोग करने के लिये ,लेकिन उनकी वासना मन में रखने के लिये पदार्थ नहीं होने चाहिये ! हाथ से कोई चीज छूट गई तो रोने बैठ गये , मिल गई तो बहुत खुश हो गये ,चाहे महल में रहें या झोपड़ी में ,न महल का इजहार होन, न झोपड़ी की निराशा हो ,जहाँ भी हैं अपने प्रभु की कृपा में हैं !
जीवन है जीने का नाम
जीवन है जीने का नाम संसार में कर्त्तव्य निभाना और फिर संसार के प्रति कोई कामना नहीं रखकर अपने जीवन को जीना ,बस ये जीवन का ढंग सही है. कामनायें रखोगे समस्यायें खडी होंगी ! बेटा बडा होगा मेरी सेवा करेगा , ऐसी कामना रखोगे और यदि फिर सेवा नहीं होगी तब दुःख होगा 1 अगर सेवा होगी भी तो जितनी आप चाहते हैं ,उतनी नहीं होगी तब भी दुःख होगा, मतलब यह् है कि जब कामनायें पाली जाती हैं तो वह फिर दुख देती हैं ! जब जब इंसान कामनाओं में कुछ पाने की इच्छा में ज्यादा से ज्यादा अनुर्क्त हो जाताहै तब बंधन आता है, दुःख मिलता है !
Vishwa Jagriti Mission, Singapore
Vishwa Jagriti Mission, Singapore
Monday, September 17, 2007
क्षमा करिए और भूल जाईए
किसी की गलती को अन देखा करना सीखिय फोर्गेट एंड फोरगिव क्षमा करिए और भूल जाईए ! दूसरों को सुधारने की अपेक्षा स्वय कॉ बदलना सरल एवं उचित है ! अपनी सुख शांती के लिए दूसरों की बातों पर तभी ध्यान देना चाहिय जब वह महत्वपूर्ण हों वरना भूलादो !
Saturday, September 15, 2007
जीवन है जीने का नाम
जीवन है जीने का नाम संसार में कर्त्तव्य निभाना और फिर संसार के प्रति कोई कामना नहीं रखकर अपने जीवन को जीना ,बस ये जीवन का ढंग सही है 1 कामनायें रखोगे समस्यायें खडी होंगी ! बेटा बडा होगा मेरी सेवा करेगा , ऐसी कामना रखोगे और यदि फिर सेवा नहीं होगी तब दुःख होगा 1 अगर सेवा होगी भी तो जितनी आप चाहते हैं ,उतनी नहीं होगी तब भी दुःख होगा 1मतलब यह् है कि जब कामनायें पाली जाती हैं तो वह फिर दुख देती हैं ! जब जब इंसान कामनाओं में कुछ पाने की इच्छा में ज्यादा से ज्यादा अनुर्क्त हो जाताहै तब बंधन आता है ,दुःख मिलता है !
अज्ञान के अंधेरे से लडाई
जीवन में अज्ञान के अंधेरे से कभी लडाई मत मोल लेना ,केवल ज्ञान का दीपक जलाने की हमेशा कोशिश कर्ना ! क्योंकि ज्ञान को बढाओगे तो अज्ञान अपने आप मिटना शुरू हो जाएगा ! अज्ञान का अंधेरा कोई कुडा-कर्कट नहीं है कि उठाकर बाहर फेंक दिया जाए ! अंधेरा अपने आप में कुछ भी नहीं है, प्रकाश का अभाव ही अंधेरा है !
वाणी
आपकी वाणी सत्य से प्रतिष्ठित हो, प्रिय हो और हितकर हो। अपनी वैन के ज्ञान के मधुर शब्दों से सजाओ।
सुविचार - चिंता - धनवान - बोलना - प्रभाव
चिंता उन्हें होती हे जिन्हें ईश्वर पर विश्वास नहीं होता !
दूसरे के लिए ह्र्दय को संकीर्ण बनाकर हम निर्धन और उसे विशाल बनाकर हम धनवान बनं जाते हैं !
जब भी इंसान बोले तो ह्र्दय का प्रेम और म्स्तिष्क की बुद्धिमता, समझदारी दोनों का मेल मिलाकर ही बोलना चाहिए !
प्रभाव ही ऐसा विचित्र होता है कि जो चीज सच नहीं वह सच नजर आती है !
दूसरे के लिए ह्र्दय को संकीर्ण बनाकर हम निर्धन और उसे विशाल बनाकर हम धनवान बनं जाते हैं !
जब भी इंसान बोले तो ह्र्दय का प्रेम और म्स्तिष्क की बुद्धिमता, समझदारी दोनों का मेल मिलाकर ही बोलना चाहिए !
प्रभाव ही ऐसा विचित्र होता है कि जो चीज सच नहीं वह सच नजर आती है !
Monday, September 10, 2007
Acceptance of Prayers
'Don't ever imagine that if you have not been rewarded. Your prayers have not been heard. The God has already accepted your prayers but the rewards will come in proper time. In His court, no prayers remain answered. He is kind and judicious'
Vishwa Jagriti Mission
Vishwa Jagriti Mission
ईश्वर का नाम
ईश्वर का नाम
जिस आदमी की ईश्वर के नाम में रूचि है,
भगवान में जिसकी लगन लग गयी है,
उसका संसार विकार अवश्य दूर होगा।
उस पर भगवान की कृपा अवश्य होगी।
जिस आदमी की ईश्वर के नाम में रूचि है,
भगवान में जिसकी लगन लग गयी है,
उसका संसार विकार अवश्य दूर होगा।
उस पर भगवान की कृपा अवश्य होगी।
संकल्प शक्ति
संकल्प शक्ति
इस संसार में प्रत्येक वस्तु संकल्प शक्ति परे निर्भर है।
जो व्यक्ति संकल्प का धनी है, उसके लिए कुछ भी असम्भव नहीं है।
इस संसार में प्रत्येक वस्तु संकल्प शक्ति परे निर्भर है।
जो व्यक्ति संकल्प का धनी है, उसके लिए कुछ भी असम्भव नहीं है।
ज्ञान के नेत्र
ज्ञान के नेत्र
ज्ञान के नेत्र खुलने से ग्रन्थ समाज मे आता है,
उसका रहस्य खुलता है,
पर भाव के बिना ज्ञान अपना नहीं होता।
ज्ञान के नेत्र खुलने से ग्रन्थ समाज मे आता है,
उसका रहस्य खुलता है,
पर भाव के बिना ज्ञान अपना नहीं होता।
Saturday, September 8, 2007
रागिनी पर झुमो
रागिनी पर झुमो
बहुत से लोग अपने दुःखों के गीत गाते है,
दिवाली हो या होली हो सदा मातम मनाते है,
दुनिया उन्हीं की रागिनी पर झूमती हरदम,
जो चिंताओं में भी बैठ कर रागिनी सुनाया करते है।
बहुत से लोग अपने दुःखों के गीत गाते है,
दिवाली हो या होली हो सदा मातम मनाते है,
दुनिया उन्हीं की रागिनी पर झूमती हरदम,
जो चिंताओं में भी बैठ कर रागिनी सुनाया करते है।
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