क्या कभी आपने सोचा है -
सत्ता की चाह में सत्य को भूल गये।
मान की चाह में ज्ञान को भूल गये।
धन की चाह में तन को भूल गये।
सुविधा की चाह में सुख को भूल गये।
साधन की चाह में साध्य को भूल गये।
यश की चाह में ईश को भूल गये।
सपनों की चाह में अपनों को भूल गये।
पूज्य सुधांशु जी महाराज
सत्ता की चाह में सत्य को भूल गये।
मान की चाह में ज्ञान को भूल गये।
धन की चाह में तन को भूल गये।
सुविधा की चाह में सुख को भूल गये।
साधन की चाह में साध्य को भूल गये।
यश की चाह में ईश को भूल गये।
सपनों की चाह में अपनों को भूल गये।
पूज्य सुधांशु जी महाराज
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