- वीरता कि अदभूत शक्ति शरीर मे नही रुधिर मे समायी होती है। वीरों के रक्त में नूतन उर्जा शक्ति का स्त्रोत सदैव रहता है। वीरों के बढते क़दमों को रोक पाना कठिन ही नही अपितु असम्भव है। उनकी भुजाए संकट कि घड़ियों मे तीव्र गति से फडकती है। वीरों के मस्तिष्क में विश्वास पूरित उहा, कुछ गुनगुनाहट, कुछ खिलखिलाहट, तरंग उमंग, कुछ सपने और इंद्र धनुषी रंगो मे डूबी हुई कल्पनाए होती है।
Respect
4 years ago
No comments:
Post a Comment