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Tuesday, August 14, 2007

सफलता कि सुरभि

सफलता कि सुरभि

आधुनिक युग मे इन्सान कि समस्त कल्पनोक का केंद्र बिन्दु कल है। इश्वर भक्त इश्वर कि उपासना मे नही अपितु कल कि आराधना मे लगा हुआ है। उत्तम स्वस्थ एवम सफलता का इच्छुक नवयुवक निज तथा नित कर्थ्व्योम से विमुख होकर कल (भाविश्व्या) कि कल्पना मे तल्लीन है। नमन्ना तो है कुच्छ कार गुजरने कि परंतु उसके अनुरुप स्वयम कि तईयारी कल पर छोड़ दी जाती है।


सफलता के छाने वाले लोगो कल कि उपासना मे मत लगो। क्या तुम यह जानते भी हो कि तुम्हारा कल आएगा भी अथवा नही?

हे मानुष ! यदि तू सफलता प्राप्त करना चाहता है, महान बनने की तेरी तमन्ना है तो कल कि उपासना को छोडकर आज की आराधना कार।

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