भगवान का मंदिर
जिसे मान सन्मान मिलने पर अकड़ना नही आता और अनादर मिलने पर जो दुःखी नहीं होता, जो भला करके प्रसन्न होता है, जिसमे सदगुण - उदारता, सरलता और गंभीरता है, जिसके स्वभाव में बदला लेना और वैर रखना नहीं है, ऐसे व्यक्ति का ह्रदय भगवान का मंदिर है।
Sunday, August 26, 2007
सुधनम
सुधनम
चाणक्य कहते है कि जिसका धन शुद्ध है, उसके घर मे सुख सम्पत्ति है।
पुराने लोगों ने चार शब्ध कहे थे जो बडे महत्त्व के है। चार शब्दों पर गोइर करना "धृत नया धान पुराने घर कुलवंती नार।
चाणक्य कहते है कि जिसका धन शुद्ध है, उसके घर मे सुख सम्पत्ति है।
पुराने लोगों ने चार शब्ध कहे थे जो बडे महत्त्व के है। चार शब्दों पर गोइर करना "धृत नया धान पुराने घर कुलवंती नार।
Thursday, August 23, 2007
भक्ति
भक्ति निष्काम भाव है आस्था का, ___ का, समर्पण का, सेवा का, बलिदान ___-- करने का, बदले में कुछ ना चाहने का, आध्यात्मिकता का प्रथम सोपान है।
Sunday, August 19, 2007
स्वदेश का प्यार
भरा नही जो भावों से बहती जिसमें रसधार नही।
हृदय नहीं वह प्थ्त्तर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नही ।
हृदय नहीं वह प्थ्त्तर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नही ।
Thursday, August 16, 2007
अहिंसक
- मनष्य को अहिंसक होना चाहिए, हिंसक नहीं।
अहिंसक होने से मुनष्य को लाभ मीलता है कि उसका वैर पुरी तरह से समाप्त हो जता है।
वीरता का संदेश एवम परिभाषा
- वीरता कि अदभूत शक्ति शरीर मे नही रुधिर मे समायी होती है। वीरों के रक्त में नूतन उर्जा शक्ति का स्त्रोत सदैव रहता है। वीरों के बढते क़दमों को रोक पाना कठिन ही नही अपितु असम्भव है। उनकी भुजाए संकट कि घड़ियों मे तीव्र गति से फडकती है। वीरों के मस्तिष्क में विश्वास पूरित उहा, कुछ गुनगुनाहट, कुछ खिलखिलाहट, तरंग उमंग, कुछ सपने और इंद्र धनुषी रंगो मे डूबी हुई कल्पनाए होती है।
चिन्ता
- चिन्ता ता की कीजिए जो अनहोनी होय,
इस मार्ग संसार पे नानक थिर न कोय॥
Vishwa Jagriti Mission Singapore
श्री गणेशाय नमः
Tuesday, August 14, 2007
सफलता कि सुरभि
सफलता कि सुरभि
आधुनिक युग मे इन्सान कि समस्त कल्पनोक का केंद्र बिन्दु कल है। इश्वर भक्त इश्वर कि उपासना मे नही अपितु कल कि आराधना मे लगा हुआ है। उत्तम स्वस्थ एवम सफलता का इच्छुक नवयुवक निज तथा नित कर्थ्व्योम से विमुख होकर कल (भाविश्व्या) कि कल्पना मे तल्लीन है। नमन्ना तो है कुच्छ कार गुजरने कि परंतु उसके अनुरुप स्वयम कि तईयारी कल पर छोड़ दी जाती है।
सफलता के छाने वाले लोगो कल कि उपासना मे मत लगो। क्या तुम यह जानते भी हो कि तुम्हारा कल आएगा भी अथवा नही?
हे मानुष ! यदि तू सफलता प्राप्त करना चाहता है, महान बनने की तेरी तमन्ना है तो कल कि उपासना को छोडकर आज की आराधना कार।
www.vjms.net
आधुनिक युग मे इन्सान कि समस्त कल्पनोक का केंद्र बिन्दु कल है। इश्वर भक्त इश्वर कि उपासना मे नही अपितु कल कि आराधना मे लगा हुआ है। उत्तम स्वस्थ एवम सफलता का इच्छुक नवयुवक निज तथा नित कर्थ्व्योम से विमुख होकर कल (भाविश्व्या) कि कल्पना मे तल्लीन है। नमन्ना तो है कुच्छ कार गुजरने कि परंतु उसके अनुरुप स्वयम कि तईयारी कल पर छोड़ दी जाती है।
सफलता के छाने वाले लोगो कल कि उपासना मे मत लगो। क्या तुम यह जानते भी हो कि तुम्हारा कल आएगा भी अथवा नही?
हे मानुष ! यदि तू सफलता प्राप्त करना चाहता है, महान बनने की तेरी तमन्ना है तो कल कि उपासना को छोडकर आज की आराधना कार।
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