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Monday, April 28, 2008

सुविचार


किसी के दुर्वचन कहने पर क्रोध न करना क्षमा कहलाता है !
जिस में दया नहीं ,उस में कोई सदगुण नहीं !
इश्वर ने आदमी को अपनी अनुकृतिका बनाया !
प्रत्येक मनुष्य को जीवन में केवल अपने भाग्य की परिक्षा का अवसर मिलता हे !
वही भविष्य का निर्णय कर देता है !
प्रत्येक अच्छा कार्य पहले असंभव नजर आता है !
जीवन एक पुष्प है और प्रेम उसका मधु है !

Thursday, April 17, 2008

Enjoy the gifts of GOD

The mind always craves for what you do not have. The hurt and dissatisfaction of what you do not have prevents you from enjoying the pleasure in all situations, which you have and forget to thank God for giving fair chanc of having happiness in the LIFE.

In Short Be Contended.

Always think that God has given you abundantly


from jeevan sanchetna English ,inauguralissue

www.vjms.net


This is what we pray (Prathana) for - Thanking God for Giving us What We Have


Happy Home

Happy Home

Whenever you go back from work keep your head cool, face smilling and speech mellowed with sweetness and return home with same disposition. There will be peace and happiness in your home.

from Jeevan Sanchetna (English)Inaugural Issue

Vishwa Jagriuti Mission


Wednesday, April 16, 2008

तुम प्रकाश हो


तुम प्रकाश हो ! तुम्हारी शक्ति अप्रतिम है ! लेकिन तुम अपनी शक्ति को भूल गये हो ! पिता परमात्मा ने तुम्हें ज्योतिरूप में इस जगत में भेजा है ! तुम्हें अपने हिस्से का प्रकाश फैलाना है! जहाँ भी रहो उस स्थान को प्रकाशित करते रहो!
धर्मदूत मार्च २००८

Tuesday, April 1, 2008

हर परिस्थिति में प्रसन्न रहो

जीवन में हर परिस्थिति में प्रसन्न रहने का स्वभाव बनाओ !
प्रसन्न रहने के लिए कुच्छ चीजों का पालन करना चाहिए !
१-ऐसे न कमाओ की पाप हो जाए ,
-ऐसे कार्यों में न उलझो की चिंता का जन्म हो जाए,
३-ऐसे न खर्च करना की कर्ज हो जाए ,
४-ऐसे मदमस्त होकर न खाना की मर्ज हो जाए ,
५-ऐसी वाणी न बोलना की क्लेश हो जाए ,
६-संसार की उबड़ खाबड़ राहों में ऐसे लड़खड़ाकर न चलना की देर हो जाए
प्रसन रहने के लिए यह महत्वपूर्ण संदेश है !
धर्मदूत जनवरी २००८


prasann rahane ke lie yah mahatvpuurN he !

गुरू जी का संदेश

गुरूजी का संदेश

कभी धुंधला मत होने दो --- अगर आप सच्चे भक्त हें तो--

भक्ति की
लगन को !--------- दुष्टता को लालाकारो !

उत्थान की अगन को !------ सज्जनता को सत्कारो !


आनंद के चमन को !-------- परमात्मा की पुकार !


सदज्ञान के गगन को ! ------सद्ज्ञान की धारा !


धर्मदूत जनवरी २००८ से

Vishwa Jagruti Mission Publications

Guru Param Pujya Sudhanshu Ji Maharaj