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Saturday, October 6, 2012

दुनिया को देखकर अक्सर




Ramesh Kumar Mishra

दुनिया को देखकर अक्सर लोग यही कहते हैं कि संसार दुखों का सागर है..इसमें चारों तरफ दुखों के सिवा और कुछ भी नजर नहीं आता..यहाँ तक कि हमारा शरीर भी अनेक व्याधियों का मंदिर है,,इसमें रोग ही रोग हैं,,लेकिन ज्ञानियों ने कहा कि जीवन के सम्पूर्ण दुःख हमारे दृष्टिकोण पर आधारित हैं..अगर हमारा दृष्टिकोण सही होगा तो सब कुछ हमें अनुकूल लगेगा..जीवन में जो प्राप्त नहीं है उसके लिए दुःख न मनाओ,,जो परमात्मा ने दिया है,,उसको पाकर ख़ुशी मनाओ,,परमात्मा ने हमें क्या-क्या दिया,,किस काबिल आपको बनाया,,उन खुशियों को सोचो,,अगर कुछ चीज हमारे जीवन में दुखदाई घटी है तो ऐसे सोचो कि क्या पता इसी में हमारी भलाई हो,,परमात्मा सबका भला करते हैं,,उसके यहाँ देर है,,अंधेर नहीं...इसलिए अपने दृष्टिकोण को ठीक कर उसके निर्णय को स्वीकार करें..अगर आपकी नजर ठीक हो गई तो नजारा स्वतः ही ठीक हो जायेगा..सुधांशुजी महाराज

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